Acharya Shri 108 Adisagar Ji Maharaj (Ankalikar)

Profile

Name Acharya Shri 108 Adisagar Ji Maharaj (Ankalikar)
Date of Birth 03/Jun/1866
Name before Diksha Shivgoda Patil
Father's Name Shri Siddhgoda Patil
Mother's Name Smt. Akka Bai
Place of Birth Ankali (Maharashtra)
Muni Diksha (Date, place and name of guru)
03-Feb-1913 / Kunthalgiri (Maharashtra) /
Acharya Diksha (Date, place and name of guru)
17-Jun-1915 / Jaisingpur (Maharashtra) /
Dikshit Disciples आचार्य महावीर कीर्ति, आचार्य श्री १०८ सन्मति सागर जी, मुनि नेमी सागर , मुनि मल्ली सागर,
Samadhi (Date, place)
21-Feb-1944 / Kunjvan-Udgaon (Mahrashtra)

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About Acharya Shri 108 Adisagar Ji Maharaj (Ankalikar)

महाराज जी का जन्म १८०९ में कर्नाटक .के एक छोटे से गाँव अंकली में हुआ था ।कर्नाटक भारत के दक्षिण में है. दिगम्बर संतों की इन क्षेत्रों में एक समृद्ध परंपरा और जैनियों के लिए एक उल्लेखनीय इतिहास है । महाराज जी बचपन से ही बहुत धार्मिक प्रवृति वाले थे ।जब वे १५ वर्ष की आयु के थे ,तब ही उनकी माता जी का स्वर्गवास हो गया और २७ साल की उम्र में उनके पिताजी का देहांत हो गया।और यही उनके वैराग्य का कारण बना और वे ६ प्रकार के आवश्यक का पालन करने लगे । ४० साल की उम्र में उन्होंने क्षुल्लक दीक्षा ले ली ।इसके बाद उन्होंने अपनी आध्यात्मिक प्रगति को आगे बढ़ाना चालू कर दिया ।४७ साल की उम्र में उन्होंने मुनि दीक्षा ले ली और कपड़े सहित अपना सभी सामान त्याग कर निर्ग्रन्थ हो गए। वे बहुत बड़े तपस्वी थे । वे ७ दिन में १ बार आहार करते थे और बाकी समय जंगल में तपस्या करते थे ।वह अपने आहार में केवल १ ही चीज (अगर आम का रस लेते थे तो केवल आम का रस ही लिया करते थे और कुछ नहीं) लेते थे । वे गुफाओं में तपस्या करते थे । १ बार तपस्या करते हुए उनके सामने १ शेर आ गया था, कुछ समय बाद वो वापस चला गया और उन्हें बिलकुल भी परेशान नहीं किया । 
आचार्य श्री १०८ आदि सागर जी महाराज ने ३२ मुनि दीक्षा और ४० आर्यिका दीक्षा देकर संघ का निर्माण किया। इनके शिष्यों में आचार्य महावीर कीर्ति,मुनि नेमी सागर ,मुनि मल्ली सागर प्रमुख है |

 


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