समयसार, आचार्य कुन्दकुन्द द्वारा रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसके दस अध्यायों में जीव की प्रकृति, कर्म बन्धन, तथा मोक्ष की चर्चा की गयी है।
यह ग्रंथ दो-दो पंक्तियों से बनी ४१५ गाथाओं का संग्रह है। ये गाथाएँ प्राकृत भाषा में लिखी गई है। इस समयसार के कुल नौ अध्याय है जो क्रमश: इस प्रकार हैं[1]-
जीवाजीव अधिकार
कर्तृ-कर्म अधिकार
पुण्य–पाप अधिकार
आस्रव अधिकार
संवर अधिकार
निर्जरा अधिकार
बंध अधिकार
मोक्ष अधिकार
सर्वविशुद्ध ज्ञान अधिकार