क्रिया कोष Kriya Kosh

Details

Language : Hindi

Category : Other

Tags : क्रिया कोष Kriya Kosh कविवर पंडित दौलत राम जी Kavivar Pandit Daulatramji

Author : कविवर पंडित दौलत राम जी Kavivar Pandit Daulatramji Edited by Shri Sanjay Shastri

Publish Year : 2018

Total Pages : 426

Publisher : Premchand Bajaj Publication, Mumukshu Ashram, Kota

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क्रिया कोष  Kriya Kosh

जैन समाज के प्राचीन कवियों में कविवर पंडित दौलतराम जी का नाम बहुत सम्मान एवं आदर से लिया जाता है। कविवर पंडित दौलत राम जी का जन्म विक्रम संवत 1805 में में हुआ और उनका देहावसान विक्रम संवत 1923 में हुआ। आप पल्लीवाल गोत्र में जन्मे थे। कविवर पंडित दौलतरामजी के पिता का नाम श्री टोडरमल था और वे उत्तरप्रदेश के हाथरस में कपड़े का व्यापार करते थे। पंडित दौलतरामजी ने विद्यालय की शिक्षा अधिक नहीं ली। वे आर्थिक समस्याओं के कारण से कम उम्र में ही अपने पैतृक व्यापार में लग गए परंतु उन्हें जैन धर्म के अभ्यास की बहुत रुचि थी। उन्होंने स्वाध्याय और परिश्रम से जिनवाणी का गहन अध्ययन किया।
पंडित दौलतरामजी की स्मरण शक्ति बहुत अद्भुत थी। वे जब कपड़े पर हाथ से लकड़ी के माध्यम चित्र बनाने का कार्य करते थे उस समय वे चौकी पर गोम्मटसार, त्रिलोकसार जैसे ग्रंथ रख करके उनका अभ्यास करते थे और प्रतिदिन 70 से 80 गाथाएं कंठस्थ करते थे। उनकी विद्वता से प्रभावित होकर मथुरा के सेठ मनीराम सन 1825 में अपने साथ मथुरा ले गए। कुछ समय मथुरा में रहने के बाद वह सासनी चले गए और ऐसा कहा जाता है कि उन्हें अपनी मृत्यु के 6 दिन पहले ही मृत्यु का आभास हो गया था और उन्होंने अपने परिवारजन से क्षमा याचना कर समाधिमरण ग्रहण किया।

पंडित दौलतराम जी की सर्वाधिक लोकप्रिय कृति छहढाला है। छहढाला में पंडित दौलत राम जी ने 6 ढ़ालों के 95 पदों के माध्यम से जगत को संपूर्ण जैन शासन का सार बताया है।  इसे छोटा समयसार भी कहा जाता है। कई विद्वानों ने इस छहढाला को गागर में सागर की उपाधि दी है। कविवर पंडित दौलतरामजी ने छहढाला की रचना सन 1844 में अक्षय तृतीया के दिन पूर्ण की थी।

इसके अतिरिक्त उन्होंने 100 से अधिक भजन एवं पद लिखे। इन समस्त पदों की भाषा खड़ी हिंदी है और उसमें कई स्थानों पर ब्रजभाषा का प्रयोग किया है।
पंडित दौलत राम जी जैन शासन के कवि परंपरा की अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी हैं।