आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागर जी महाराज

Profile

Name आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागर जी महाराज
Date of Birth 12/Dec/1971
Name before Diksha श्री राजेन्द्र कुमार जैन
Father's Name श्री रामनारायण जी जैन ( मुनि श्री १०८ विश्वजीत सागर जी महाराज)
Mother's Name श्री रत्तीबाई जी जैन (समाधिस्थ क्षुल्लिका १०५ श्री विश्वमति माता जी )
Place of Birth रूर भिंड म.प्र.
Education १० वीं तक
Brhamcharya Vrat (Date, place and name of guru)
12-Nov-1988 / श्री अतिशय क्षेत्र बरासों, भिंड / आचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज
Kshullak Diksha (Date, place and name of guru)
10-Nov-1989 / भिंड / आचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज
Elak Diksha (Date, place and name of guru)
12-Jun-1991 / पन्ना,म.प्र. / आचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज
Muni Diksha (Date, place and name of guru)
21-Nov-1991 / अतिशय क्षेत्र श्रेयांसगिरि, पन्ना / आचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज
Acharya Diksha (Date, place and name of guru)
31-Mar-2007 / औरंगाबाद, महाराष्ट्र / परम् पूज्य १०८ श्री गणाचार्य विराग सागर जी महाराज
Dikshit Disciples ३३ श्रमण (मुनि), ३१ बाल ब्रह्मचारी
Books / Granths लगभग २०० पुस्तकें । कई कृतियों का हिंदी, अंग्रेजी, मराठी में भी प्रकाशन हुआ पहली कृति शुद्वात्म तरंगिरणी २००१ झाँसी उ.प्र. से प्रकाशन
Chaturmas (year, place) प्रथम चार्तुमास-१989 भिंड म.प्र. ,2017- इंदौर म.प्र.

Gallery

Other Details

About आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागर जी महाराज

लगभग ४२ पञ्चकल्याणक सम्पन्न कराये
नियम देते हैं ५ मिनिट प्रतिदिन मौन, एवम् १० मिनिट कम से कम स्वाध्याय करने का
अष्टानिका, अष्टमी, चतुर्दशी में स्वाध्याय के आलावा पुरे समय अखण्ड मौन रहते हैं।
लगभग ६० हजार किलोमीटर से अधिक पद यात्रा कर ली है।
संबोधन  भो ज्ञानी, हंसात्मन, चैतन्य, विज्ञातम्न, मुमुक्षु, हे जीव, आदि
५००० से अधिक गाथा कण्ठस्थ हैं
ग्रन्थ की व्याख्या करते हुये, गाथाओं पर ही प्रवचन करते है। आचार्य प्रणीत ग्रन्थों का स्वाध्याय टीका सहित करते हैं।


More Details

आजीवन त्याग ~ हरी पत्ती, तेल, नमक, चावल , दही
 

Latest News

आचार्य भगवन 108 गुप्तिनंदी जी और आचार्य भगवन 108 विशुद्ध सागर जी महराज ससंघ का*
09//01//19 को सुबह 8 बजे बजे
*कार्यकम स्थल- श्री दिगम्बर खंडेलवाल जैन मंदिर जूनी शुक्रवारी नागपुर*

मिलन के बाद आचार्य भगवन ससंघ का मंगल विहार मोठे जैन मंदिर के लिए होगा और आहार चर्या भी मोठे मंदिर जी मे होगी