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काशी में जैन धर्म Jainism in Varanasi

Dr. Vivekanand Jain and Dr. Anand Kumar Jain

सम्पूर्ण भारत देश और विदेश से जैन धर्म के अनुयायी / धर्मावलम्बी तीर्थयात्रा हेतु निरन्तर वाराणसी नगरी आते रहते हैं। तीर्थयात्री श्री सम्मेद शिखरजी जाते वक्त या सम्मेद शिखरजी की यात्रा पूरी करके कभी न कभी वाराणसी भगवान पार्श्वनाथ की नगरी में अवश्य आते हैं। इन्ही तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु एक सचित्र लघु पुस्तिका बनाने का विचार मन में चल रहा था जिसे वर्तमान में मूर्तरूप देने का यह एक प्रयास है।

इसमें जैन धर्म से संबंधित सभी जन्म स्थलियों (दिगंबर एवं श्वेतांबर मंदिरों) की जानकारी दी गई है। इसके अलावा जैन-विद्या एवं जैन धर्म-दर्शन की शिक्षा से संबंधित संस्थानों और पुस्तकालयों का भी विवरण इसमें दिया गया है। यह एक प्रकार से सूचना-सामग्री युक्त पिक्टोरियल बुक है।

काशी के रूप अनेक हैं, जिसने जिस रूप में इसे देखा, उसे काशी उसी तरह नजर आई। काशी में सदियों से तीर्थयात्री एवं पर्यटक पूरे विश्व से आते रहे हैं और इसका वर्णन तथा गुणगान करते रहे हैं। वास्तव में काशी विविधताओं से भरी हुई एक प्राचीन जीवंत नगरी है जो कि सभी के लिए सकारात्मक धार्मिक एवं सांस्कृतिक ऊर्जा का स्थापित केंद्र है।

भरत का अंतर्द्वंद

डॉक्टर हुकमचंद जी भारिल्ल

अंतर्द्वंद का मतलब है, किसी विषय को लेकर मन में कई विचार आना. यह दो शब्दों से मिलकर बना है - अंतर और द्वंद. अंतर का मतलब है हृदय और द्वंद का मतलब है मन में चल रहा विचारों का झंझावात

रयणसार

आचार्य श्री कुंदकुंद

आचार्य कुंदकुंद (ई. 127-179) कृत आचरण-विषयक 167 प्राकृत गाथाओं में निबद्ध ग्रंथ है ।

साधु और श्रावकधर्म का वर्णन करने वाला यह श्री रयणसार ग्रंथ आ. श्री कुंदकुंद स्वामी की. अमूल्य कृति है । 

स्वभाव बोध मार्तंड

आचार्य सूर्यसागरजी महाराज

स्वभाव बोध मार्तंड

जैन कल्याणक क्षेत्र

सीमा जैन, धीरज जैन

पुस्तक के बारे में: 
1. वर्तमान चौबीसी के चौबीस तीर्थंकर भगवान के 24x5= 120 कल्याणक हुए हैं और संयोग की बात यह है कि ये सभी 120 कल्याणक कुल 24 तीर्थ क्षेत्रों पर ही हुए हैं जिनकी सचित्र जानकारी इस पुस्तक में है।
2. साथ ही पंच कल्याणक, सोलह कारण भावनाओं, अष्ट प्रतिहार्य आदि का भी आगम सम्मत वर्णन है जो कि प्राचीन ग्रंथों के आधार से लिया गया है ।
3. इसके अतिरिक्त इन सभी चौबीस तीर्थ क्षेत्रों में श्रद्धालुओं को रुकने हेतु धर्मशाला, भोजन व्यवस्था,आसपास के जैन मंदिरों की जानकारी उनके फोन नंबर एवं एड्रेस के साथ दिए गए हैं। 
4. इन सभी 24 तीर्थ क्षेत्रों पर पहुंचने के साधन, नजदीकी रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट आदि की जानकारी समाहित है। साथ ही कुछ मुख्य ट्रेन नंबर भी दिए गए हैं ।
5. पुस्तक में  तीर्थ क्षेत्रों से जुड़े हुए प्राचीन एवं मनभावन भजन भी दिए गए हैं , जिन्हें गुनगुनाकर तीर्थ यात्रा करते समय आनंद दुगुना हो जाएगा।
6. जगह जगह पर जैन धर्म की सुंदर सुंदर गाथाएं, श्लोक, वाक्य आदि भी समाहित करे गए हैं। 
7. पुस्तक में एक बड़ी सुंदर सी प्रश्नोत्तरी रखी गई है जिसमें लगभग 25 प्रश्न हैं। जिन्हें हल करने में निस्संदेह ही आनंद आएगा।

यह पुस्तक एक कोशिश है इन पवित्र तीर्थ क्षेत्रों की महिमा के बारे में बतलाने कि और इन कल्याणक क्षेत्रों की वंदना के लिए उत्साहित करने की। आशा है कि यह पुस्तक उपयोगी लगेगी तथा आपकी तीर्थ यात्रा में सहायक बनकर हमारे इस प्रयास को सार्थक करेगी।

क्रिया कोष Kriya Kosh

कविवर पंडित दौलत राम जी Kavivar Pandit Daulatramji Edited by Shri Sanjay Shastri

क्रिया कोष  Kriya Kosh

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जैन मंदिरों तथा तीर्थ क्षेत्रों की जानकारी वैज्ञानिक आधार से एकत्रित करने के बाद सभी जैन आगम को डिजिटल रूप में सुरक्षित करने का सराहनीय कार्य.

सुनील जैन

अतिरिक्त महानिदेशक (सेवा निवृत्त), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय

जैन धर्म ग्रंथो तथा पुस्तकों को सुरक्षित रखने व जन-जन तक पहुंचाने के इस भागीरथी कार्य की बहुत बहुत अनुमोदना.

प्रोफेसर वीरसागर जैन

जैनदर्शन विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय