Digamber Jain Temple in Jagga Ki Bawri, Jaipur
अतिशय क्षेत्र जग्गा की बावड़ी, जयपुर; मूलनायक श्री 1008 वासुपूज्य भगवान
यहाँ पर महाअतिशयकारी अति प्राचीन भगवान वासुपूज्य जी व भगवान पार्श्वनाथ जी की प्रतिमाएं विराजमान हैं । मन्दिर बहुत ही भव्य व प्राकृतिक सुंदरता के बीच बना हुआ है ।
जयपुर रेलवे स्टेशन से मात्र 10 किमी की दूरी पर स्थित यह मंदिर बहुत प्राचीन व पहाड़ियों से घिरा हुआ है ।
पूर्व काल से ही जयपुर ढूंढार क्षेत्र का हिस्सा था, यह नगर पूज्य पंडित प्रवर टोडरमल की कार्य स्थली भी रही है, जहां पंडित टोडरमल जी ने मोक्ष मार्ग नामक महान ग्रंथ की रचना की ,, यहां से चूल गिरी मन्दिर मात्र 4 किमी की दूरी पर है ।
जयपुर नगर जिसकी विशेषता अर्ध-शुष्क परिदृश्य थी। चिलचिलाती धूप के साथ गर्मियां गर्म होती हैं और पानी का प्राथमिक स्रोत वर्षा होता है। बारिश के पानी को बचाना बहुत जरूरी था ताकि इसे पूरे साल इस्तेमाल किया जा सके। जयपुर में नदी की तरह पानी का बारहमासी स्रोत नहीं था।
हालांकि कुछ इतिहासकार द्रव्यवती नदी की उपस्थिति के बारे में बात करते हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ जाना जाना बाकी है। इस क्षेत्र के लोगों को पानी के लिए बावड़ियों और कुओं पर निर्भर रहना पड़ता था। जयपुर में पाइप से जलापूर्ति 1868 ई. में महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय के शासनकाल में संभव हुई । पहले, शहर के तीन चौपरों, कुओं और बावड़ियों में से एक से पानी लाया जा सकता था।
जग्गा की बावड़ी दिगंबर जैन मंदिर एक बहुत ही प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर है । यहां की मुख्य प्रतिमा पारसनाथ भगवान की है ।
इस स्थान का नाम जगह की बावड़ी इसलिए है क्योंकि इस स्थान के पास में एक पानी की प्राचीन बावड़ी बनी हुई है।
यह मंदिर एक काफी बड़ी क्षेत्र में बना हुआ है यहां पर कई प्रकार के धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम किए जा सकते हैं उसके लिए यहां पर सभी सुविधाएं उपलब्ध है जैसे कि यहां पर ठहरने के लिए धर्मशाला है कई कमरे हैं।
फोन : 0141-2680665
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM, Evening: 5:30 PM - 8:30 PM,
Jaipur is a famous tourist city, popularly known as Pink City, and is well connected with roads.
Bus Stand: Sindhi Camp, Jaipur
Train: Jaipur Railway Station
Airport: Jaipur