Shri Varkana Parshvnath Jain Tirth, Varkana, District - Pali (Rajasthan)

श्री वरकाणा पार्श्वनाथ – वरकाणा (राज.)

महाराणा कुंभा के समय श्रीमालपुर के शेष्टि ने इस मंदिर का जिनोर्द्वारा करवाया था प्रतिमाजी पर कोई लेख नही है दरवाजे के बहार वि.सं. १६८६ का एक शिलालेख है यह प्रतिमा लगभग वि. सं. ५१५ में प्रतिशिष्ट हुई मानी जाती है यह तीर्थ गोडवाड पंचतीथी का एक तीर्थ माना जाता है ”सकल तीर्थ सोत्र ” में इस तीर्थ का उल्लेख है

प्रतिवर्ष पौष कृष्णा १० को मेला लगता है जैन साहित्य में तीर्थमालाओं में और “सकल तीर्थ स्तोत्र” में वरकाणा का वर्णन आता है संस्कृत में एक स्तोत्र “वरकनक शंख विद्रुम” भी है जो वरकाणा कम महत्त्व बताता है सकल तीर्थ की वंदना के समय वरकाणा का महत्तव इस प्रकार बताया गया है सकल तीरथ वन्दु कर जोड़, जिनवर नामे मंगल कोड… अंतरिक्ष वरकानो पास, जीरावलों ने थमभण पास इस स्तोत्र में अनेक चमत्कारिक तीर्थो की वंदना की गई है इस तीर्थो में अंतरिक्ष पार्श्वनाथ, वरकाणा पार्श्वनाथ, जीरावाला पार्श्वनाथ स्तंभन पार्श्वनाथ को सर्वमान्य एवं उत्कुष्ट तीर्थ बताये गए है संवत् १६१८ विक्रम की पौष वदी सातम मंगलवार को तपागच्छचार्य जगत गुरु हीरविजयसूरीजी ने संघ समेत अहमदाबाद से इस तीर्थ एवं पंचतीर्थी की यात्रा की थी, उन्होंने यहाँ पौष दसमी का अट्टम तप अनुष्ठान करवाया था जगदगुरु हीरविजयसूरीजी का महत्तवपूर्ण समय वरकाणा एवं इसके पास-पड़ोस नाड़ोल एवं नारलाई में गुजरा संवत् १६०७ में नारलाई में इन्हें पंडित की पदवी प्राप्त हुई और यहीं संवत् १६०७ में इन्हें वाचक उपाध्याय की पदवी प्राप्त हुई

इस मंदिर का भव्य रूप गुजरात के सोलंकी परमाह्रत कुमारपाल के समय में प्राप्त हुआ होगा क्योंकि मंदिर का स्थापत्य एवं वास्तुरचना गुजरात की चाकुल्य शैली की है एवं कुमारपाल कालीन अन्य मंदिरों से मिल्त्ति-जुलती है इस शैली की विशेषता यह है की इसकी जगती एयर पीठिका धरती से लगती हुई होती है और खूब खम्भे और वे भी कोरणी से भरे हुए होते है मंदिर भी निचाई पर ढका हुआ होता है और मंडप काफी उंचा मेवाड़ के कुम्भाकालीन मंदिरों की पीठिका बहुत ऊँची है, जैसे राणकपुर की विक्रमी संवत् १२०० के बाली जैन मंदिर के शिलालेख से यहाँ सोलंकियान के शासन की पुष्टि होती है वरकाणा का यह मंदिर आज किले-नुमा दिखाई देता है इसे यह रूप महाराजा कुम्भा के समय में प्राप्त हुआ मेवाड़ के महाराजाओं के कई लेख, ताम्रपट्ट व परवाने मंदिर की पेढ़ी में सुरक्षित है मंदिर जी की पूर्व उत्तरी दरवाजे व कोट महाराणा कुम्भा के समय में बने थे उस समय की सामरिक आवश्यकतानुसार मंदिरों को किले-नुमा बना दिया प्रभु प्रतिमा की कला अपना विशिष्ट स्थान रखती है शिखरों पर बनी शिल्पकला भी अपनी अनुपम कला का उदाहरण प्रस्तुत करती है

Location

Address: Shri Varkana Parshvnath Jain Tirth, Varkana, District - Pali (Rajasthan)

Village/Town : Varkana, Tahsil : Rani, District : Pali, State : RAJASTHAN, Country : India, Pincode : 306601

Temple Timing

Morning: 5:30 AM to Evening: 8:30 PM,

How To reach?

Varkana is a village in Rani tehsil of Pali district in Rajasthan. It is 65km from Desuri and 65km from Pali. 
Train: Rani Railway Station
Air: Udaipur Airport