भारतीय इतिहास में ग्वालियर अंचल का एक महान एवं विशिष्ट स्थान रहा है ग्वालियर के इतिहास पर दृष्टी डालें तो हमें जैन संस्कृति के स्वर्णिम युग के दर्शन होते है ग्वालियर के इर्द गिर्द जिसमें दिमनी,सिंहनियाँ जी,बरई,पनिहार जो की ७वी,८वी शताब्दी से लेकर १४वी,१५वी शताब्दी तक के प्राचीन जिनालयों के दर्शन होते है एवं यदाकदा प्राचीन मूर्तियाँ जगह-जगह भू गर्भ से आज भी प्राप्त होती रहती है/१५वी शताब्दी से १६वी शताब्दी तक ग्वालियर का दुर्ग जो कि आज भी अपने स्वर्णिम युग की याद दिलाता है जिसमे ग्वालियर दुर्ग की तलहटी में बेशुमार जैन मूर्तियाँ खण्डित अवस्था में अपनी अतीत का यांशोगान कर रही है तत्पश्चात के काल क्रम में बाद की रियासतों के काल में जो भी जैन मंदिर निर्मित हुये उनमे श्री १००८ पाश्वर्नाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के नाम से अपनी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को सहेज कर समेटे हुआ है !
इस मंदिर जी का निर्माण भादों सुदी २ संवत १७६१ में हुआ एवं इसको अपनी पूर्णता में लगभग ४५ साल का समय लगा, जिसमे उस समय के श्रेष्ठतम कारीगरों, वास्तुविदों एवं समाज केश्रेष्टियोंने अपने अथक परिश्रम, लगन एवं निष्ठां का सौभाग्य प्राप्त किया | कहा जाता है क़ि इस मंदिर जी के निर्माण में तत्कालीन श्रेष्ठियों ने २ मन सोने का उपयोग स्वर्णकला को निखारने एवं संवारने में किया था | इस मंदिर जी में मूल नायक भगवान श्री १००८ पार्श्वनाथ जी क़ि प्रतिमा है जो क़ि संवत १२१२ में प्रतिष्ठित है |
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM, Evening: 5:30 PM - 8:30 PM,
Gwalior is a city in Madhya Pradesh. It's known for its palaces and temples, including the Sas Bahu Ka Mandir intricately carved Hindu temple. Ancient Gwalior Fort occupies a sandstone plateau overlooking the city and is accessed via a winding road lined with sacred Jain statues. It is well connected with roads.
Railway Station: Gwalior
Airport: Gwalior