राजस्थान का कोटा शहर शैक्षिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। कोटा के दादाबाड़ी क्षेत्र में जैन नसियां है। यह प्राचीन मन्दिर तीन मंजिला है। भूतल पर प्राचीन जिनालय है, जिसमें मूलनायक प्रतिमा प्रथम तीर्थंकर भगवान श्री ऋषभनाथ की है। साथ ही सात वेदियों पर पाषाण व धातुओं से बनी हुई 24 तीर्थंकरों की प्रतिमा विराजमान है।
प्रथम तल पर भगवान आदीनाथ की सैण्डस्टोन से बनी 15 फीट 4 इंच कद की प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में है। इस प्रतिमा पर दिनांक 12.04.2015 को 121 किलोग्राम का 10 फीट उंचा व 19 फीट 3 इंच चौड़ा चांदी का छत्र चढाया गया था, जो कीर्तिमान है। यह कीर्तिमान लिम्का बुक्स आॅफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है। इसी तल पर 20वें तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रतनाथ एवं 23वें तीर्थंकर सहस्त्रफणी भगवान पार्श्वनाथ की श्यामवर्णी प्रतिमायें हैं। साथ ही रजतमयी तीर्थंकर भगवान की प्रतिमायें विशेष लॉकर में दर्शन हेतु रखी हुई हैं।
द्वितीय तल व तीसरे तल पर भूत, वर्तमान व भविष्य के तीर्थंकरों की प्रतिमायें विराजमान हैं। मन्दिर के खुले प्रांगण में मार्बल से निर्मित मानस्तम्भ भी बना हुआ है।
मन्दिर में आवास व भोजनालय की सशुल्क व्यवस्था है ।
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM, Evening: 5:30 PM - 8:30 PM,
Road: Well connectecd with roads
Train: Kota Jn.
Airport: Kota