इस क्षेत्र में लोकमतानुसार मूलनायक श्री अजितनाथ भगवान की पद्मासन प्रतिमा की रचना संवत् 1199 में कराई गई थी। इसके अतिरिक्त मन्दिर में भगवान श्री आदिनाथ जी एवं संभनाथ जी की खड़गासन प्रतिमा की रचना संवत् 1206 में कराई गई थी। मूलनायक श्री अजितनाथ भगवान की प्रतिमा को लगभग 900 वर्ष में तलघर में विरजमान किया गया था।
क्षेत्र में श्री चन्द्रप्रभु मंदिर भी है, जिसमें सम्राट अशोक कालीन 15 प्रतिमायें विराजमान हैं। श्री चन्द्रप्रभु मन्दिर में मुंडिया लिपि में अंकित एक शिलाालेख भी है। इसे मठ मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है।
क्षेत्र में श्री आदिनाथ मंदिर भी है। लोकमतानुसार सन् 1890 में एक मूर्तिकार मूर्ति विक्रय करने हेतु अपनी गाड़ी से जा रहा था और उसकी गाड़ी अचनाक रूक गई। बम्हौरी के सिंघई जी ने क्षेत्र में मूर्ति विराजमान करने की इच्छा करने पर गाड़ी आगे बढ़ गयी और क्षेत्र में आदिनाथ जी का मंदिर बनाया गया। इस मन्दिर में बड़ा समोशरण भी विराजमान है।
क्षेत्र में त्रयवेदी व बाहुबलि का भी मन्दिर है तथा वर्ष 2004 में सुन्दर मानस्तम्भ भी बनाया गया है। मुगलकाल में इस क्षेत्र में मन्दिर को तोड़ने का प्रयास किया गया, परन्तु यह प्रयास सफल नहीं हुआ और कहा जाता है कि तोड़ने वाले लोगों को देवयोग से बांध दिया गया। तब से इस क्षेत्र का नाम बंधा जी के रूप में जाना जाने लगा। क्षेत्र में सशुल्क भोजनशाला व रूकने के लिये धर्मशाला है।
Morning: 5:30 AM to Evening 8:30 PM,
Road: - From Jhansi & Tikamgarh many buses are available for Bandhaji Kshetra via Bamhori.
Train: - Jhansi Railway Station, One can reach Bandhaji from Jhansi via Bamhori on Jhansi-Tikamgarh Road, Kshetra is simply 7 km ahead from Bamhori.
Airport: - Khajuraho (160 km)