भगवान अनन्तनाथ चौदहवें तीर्थंकर के रूप में प्रसिद्ध हैं। अनन्तनाथ जी ने जीवनभर सत्य और अहिंसा के नियमों का पालन किया और जनता को भी सत्य पर चलने की राह दी।
अनन्तनाथ जी का जन्म वैशाख के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रेवती नक्षत्र में पवित्र नगरी अयोध्या के पास में इक्ष्वाकु वंश के राजा सिंहसेन की पत्नी सुयशा देवी के गर्भ से हुआ था। इनके शरीर का वर्ण सुवर्ण और इनका चिह्न बाज था।
धर्म के निर्वाह के लिए पाणिग्रहण संस्कार स्वीकार किया। पिता के पश्चात राज्य का संचालन भी किया। जिस प्रकार कमल कीचड़ मे जन्म लेकर भी उसकी गंदगी से दूर रहता है ठीक उसी प्रकार प्रभु भी संसार के दायित्वों को वहन करते हुए भी मोह माया से मुक्त रहे।
जीवन के उत्तर पक्ष में उत्तराधिकारी को राज्य में स्थापित कर वैशाख कृष्ण चतुर्दशी के दिन अनन्तनाथ मोक्ष के पथ पर बढ़ चले। पालकी पर सवार होकर सहेतुक वन में ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी के दिन एक हजार राजाओं के साथ दीक्षित हुए तथा ‘कैवल्य’ प्राप्त किया। धर्मोपदेश माध्यम द्वारा तीर्थ की रचना कर तीर्थंकर पद प्राप्त किया और अंत में चैत्र शुक्ल पंचमी के दिन सम्मेद शिखर पर्वत से प्रभु ने मोक्ष प्राप्त किया।
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM, Evening: 5:30 PM - 8:30 PM,
Ayodhya is a historic city located. It is well connected with roads.
Train: Ayodhya Junction Railway Station
Air Port – Amausi airport, Lucknow (130 Km)