भिलडीया पार्श्वनाथ
उंबरी से 18 किमी. दूर भीलडी जो बनासकांठा जिले के डीसा तालुका का एक नगर है। जहां विराजमान पार्श्वनाथ प्रभु भीलडीया पार्श्वनाथ के नाम से विख्यात है। सातफणों, सहित श्यामवर्ण के प्रभु की प्रतिमा केवल 13×9" की है। शानदार कलात्मक सौंदर्य से पूर्ण परिकर में विराजित प्रभु की प्रतिमा कपिल केवली मुनि द्वारा प्रतिष्ठित है। प्रभु दर्शन से मन आनंद से भर उठता है। प्रभु अपने भक्तों के मनोरथ पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है अनेक चमत्कारों के किस्सों की गूंज यहां सुनाई देती है।
इतिहास में भीलडी जिसे जैन शास्त्रों में भीमपल्ली नाम से पहचाने जाने का उल्लेख मिलता है। कालांतर में यह नगरी त्रम्बावती के नाम से भी प्रसिद्ध रही है, उस समय यहां सवा सौ शिखरबद्ध जिनालय , सवा सौ कुएं, अनेकों बावडियाें एवं सुन्दर बाजार से सुसज्जित इस नगरी में जिन शासन की पताका शान से फहरा रही थी। एतिहासिक तथ्य बताते है कि 13 - 14 वीं शताब्दी में यह नगरी बहुत सम्पन्न थी।
विक्रम सं. 1317 में श्रेष्ठी भुवनपाल शाह ने इस जिनालय का जिर्णोद्धार करवाया तथा विक्रम संवत् 1344 में श्रेष्ठी लखमसिंघजी ने यहां माता अम्बिका देवी की मूर्ति प्रतिष्ठित करवाई थी। भीम्पल्ली विक्रम की 14 वीं सदी में जलकर भस्म हुई थी।मुस्लिम लुटेरे अलाउदीन खिलजी ने वि.सं. 1353 में पाटण शहर पर आक्रमण किया था शायद उसी समय इस नगरी का भी विनाश किया होगा एसा प्रतीत होता है। आज भी जली हुई इंटे, राख, कोयले आदि यहां पर जगह-जगह प्राप्त होते रहते हैं। विनाश होने के बाद भीलडिया को पुन: बसाए गया , लेकिन भीलडीया गांव पुन: बसने के पूर्व सरियद गांव के श्रावकों ने पार्श्व प्रभु की प्रतिमा को अपने गांव ले जाने का प्रयत्न किया था। उस समय यह प्रतिमा विनाश हुए गांव के भोंयरे में स्थित थी श्रावकों ने प्रतिमा उथापण करके बाहर लाने का प्रयत्न किया लेकिन दैविक शक्ति से प्रतिमा ने विराट रूप धारण किया व हजारों जंगली भवंरे मंडरने लगे इस अतिशय को देखकर श्रावकों ने प्रतिमाजी को उसी जगह पर पुन: स्थापित कर दिया। ऐसी अनेक चमत्कारी घटनाएं घटने के वृतांत मिलते है एवं अभी भी यहां आने से श्रद्धालु भक्तजनों के मनोरथ पूर्ण होते है।
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM, Evening: 5:30 PM - 8:30 PM,
Bhildi is a town in Deesa taluka, Banaskantha district.
Train: Bhildi Railway Station
Air: Ahemdabad Airport