महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले में औरंगाबाद से 37 किमी दूर कचनेर ग्राम में स्थित, श्री 1008 चिंतामणि पार्श्वनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र कचनेर में दर्शन होते हैं अत्यंत, मनोहारी, चमत्कारी, मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली एवम समस्त समस्याओं का निराकरण करने वाली, चिंतामणि पार्श्वनाथ की अतिशयकारी प्रतिमा के।
यह अतिशयकारी प्रतिमा लगभग 250 वर्ष पूर्व एक भूमिगत तहखाने से मिली थी। मूर्ति की खोज के साथ एक किंवदंती जुड़ी हुई है:
एक गाय प्रतिदिन उस स्थान पर अपना दूध गिराती थी। एक बूढ़ी औरत ने इसे देखा। गाय को घर पर बांध दिया गया परंतु गाय रस्सी तुडा कर उस स्थान पर दूध गिराने पहुंच गई। बूढी औरत ने जब यह बात गांव वालों को बताई तो वह लोग आश्चर्यचकित हो कर उस स्थान पर पहुंचे और इस रहस्य का पता लगाने के लिए वहां खुदाई की। खुदाई करने पर वहां एक तहखाने का द्वार मिला और तहखाने में सात सर्पों के फनों से युक्त भगवान पार्श्वनाथ की चमत्कारी प्रतिमा प्राप्त हुई। ग्रामीणों ने बड़ी श्रद्धा एवम भक्ति से उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण कर प्रतिमा को उसमें स्थापित किया।
कुछ वर्षों के पश्चात एक विचित्र घटना घटी। प्रतिमा का ऊपरी हिस्सा अपने आप गर्दन से टूटकर जमीन पर गिर गया। धड़ वेदी पर ही रहा। प्रतिमा खंडित हो गयी। दुखी एवम भयभीत ग्रामीणों ने जिंतूर से महावीर भगवान की नई प्रतिमा लाने और खंडित प्रतिमा को विसर्जित करने का निर्णय लिया। खंडित प्रतिमा को विसर्जित करने से पहले क्षेत्र के एक समाजसेवी श्री लच्छीराम कासलीवाल को स्वप्न में खंडित प्रतिमा ने विसर्जन को मना किया और कहा कि खंडित प्रतिमा को मंदिर में एक कमरे में गड्ढा खोद कर प्रतिमा को उस मैं रख कर गड्ढे को ऊपर तक घी एवम शक्कर से भरने के पश्चात 7 दिन तक कमरा बंद कर दें प्रतिमा जुड जाएगी। लच्छीरामजी कासलीवाल ने समाज को स्वप्न के दृष्टांत की जानकारी दी। स्वप्न के अनुसार कार्य किया गया एवम मंदिर के भीतर एक कमरे में खड्डा खोदकर दृष्टान्तनुसार प्रतिमा रखी गई। कमरे को ताला लगा दिया गया। सात दिन के अखंड भजन – पूजन पश्चात् आठवें दिन कमरे का ताला स्वयं खुल गया। जब प्रतिमा को गड्ढे से निकाला गया तो प्रतिमा की गर्दन धड़ से जुड़ी पाई गई। प्रतिमा खंडित होने के निशान अब भी प्रतिमा के गर्दन पर दिखते हैं।
ऐसी मान्यता है कि इस प्रतिमा की पूजा करने से समस्त समस्याएं दूर होती हैं और अपने शहर या गांव से मंदिर तक पैदल यात्रा कर पहुंचने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
धर्मशाला काफी बड़ी है
Morning: 5:30 AM to Evening 8:30 PM
Local transport is available from Aurangabad. Also, the temple Trust runs a vehicle from Aurangabad at 7am in the morning and back to Aurangabad at 5pm and also Busses are available from Aurangabad (Cidco Bus Stop) every time for Kachner or Chitegon.
Train: Aurangabad Railway Station
Air: Aurangabad Airport