Shri Dada Parshvnath Jain Derasar, Narsinhji Pole, MG Road, Mandvi, Vadodara (Gujarat)

More than 100 years old Shwetamber Jain Temple in Mandvi, Vadodra

श्री दादा पार्श्वनाथ वडोदरा

5,000 वर्ष प्राचीन और समुद्री रेत से निर्मित ऐक मात्र प्रभु की प्रतिमा

नरसिंहजी की पोल के श्री दादा पार्श्वनाथ जिनालय के जीर्णोद्धार को १०७ वर्ष पुरे हुए हैं ...

"समुद्री रेत से निर्मित ऐक मात्र परमात्मा की प्रतिमा वडोदरा में है, आज तक एक भी रेत का कण इस प्राचीन परमात्मा की मूर्ति में से निकला नहीं ...

जिनालय की वर्षगाँठ महा सुद १३ को भव्य धजारोहण एवं महोत्सव पूर्वक पूजा,भव्य आंगि, रंगोली एवं संध्या भक्ति के साथ होती हैं।

वडोदरा शहेर के मध्य में नरसिंहजी की पोल में बिराजमान 'दादा पार्श्वनाथ' भगवान के इस जिनालय को ऐसे तो ४५० से अधिक वर्ष हुए हैं और समग्र भारत देश में स्थित सभी जिनालयो में विशिष्ट है क्योंकि यहाँ पर दादा पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा समुद्र की रेत से बनी हुई हैं और इस प्रकार की पार्श्वनाथ की प्रतिमा देश और विदेश के अन्य किसी भी स्थान पर नहीं है।

४५० वर्षों पहले यहाँ लकड़ी से बना हुआ जिनालय था, १०७ वर्षों पूर्व जिर्णोद्वार करने के पश्चात शिखरबद्ध जिनालय का निर्माण हुआ था। यह जिनालय “जैन तिर्थ” मे सम्मिलित हुआ।

जिनालय के ट्रस्टी श्री रोशनभाई झवेरी ने कहा था कि 'पूर्व मे इस स्थान पर काष्ठ (लकडी से बना हुआ) जिनालय था और जिसका निर्माण वस्तुपालजी के भाइ तेजपाल मंत्रीश्वर ने करवाया था। कालातंर के पश्चात जिर्णोध्धार होता रहा और अंतिम १०७ वर्ष पहले झवेरी परिवार ने इस स्थन पर शिखरबंधी जिनालय का निर्माण करवाया और मंदीरजी मे मूलनायक श्री दादा पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिष्ठा प. पू. श्रीमद् विजय सिद्धिसूरीश्वरजी म. सा. की पुण्य निश्रा मे हुई थी।

दादा पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा का इतिहास

पूर्व मे वडोदरा नगर के वर्तमान मे जहां पर भूतडीझांपा क्षेत्र है वहाँ पर खुदाई के दौरान यह प्रतिमा प्राप्त हुई थी।

प्रतिमा समुद्र की रेत, गाय के गोबर और अन्य पवित्र वस्तुओं के उपयोग से सिद्ध करवायी हुई है।

वटपद्रक नगर (वडोदरा) में बिराजमान परम प्रभावकारी प्राचीन श्री दादा पार्श्वनाथ दादा की 5000 वर्ष प्राचिन रेत से बनी हुई एक मात्र भव्य प्रतिमाजी के दर्शन पूजा के लिए जरूर जरूर पधारे।

जैन परंपरा में किसी भी जिनालय को १०० वर्ष से ज्यादा समय हुआ हो तो उसका 'तिर्थ' में समावेश होता है। यह जिनालय अब जैन तिर्थ है।

प्रतीमाजी की प्राचीनता पर एक नजर...

👉 लोक मत के अनुसार यह प्रतिमाजी वडोदरा के भुतडीझांपा विस्तार मे से खुदाई दरम्यान प्राप्त हुई थी।

👉 यह जिनालय का निर्माण कुमारपाल महाराजा ने करवाया था ।

👉 वस्तुपाल के भाई मंत्रीश्वर तेजपाल द्वारा जिनालय का जीर्णोद्धार करवा कर प्रतिष्ठा करवाने का उल्लेख मिलता है।

👉 वर्षो पूर्व हर रात को जिनालय में घंटनाद और नृत्यभक्ति की आवाज सुनाई देती थी।

👉 पूर्वे यह प्रभुजी भोंयरे में बिराजमान थे, आज भी वो प्राचीनता के दर्शन होते है।

👉 पावागढ में जैनो की बस्ती न रहने से श्री नाना भीडभंजन पार्श्वनाथ दादा और श्री शांतिनाथ दादा को यहां पधराये गए है।

👉 प्रभुजी की वर्तमान प्रतिष्ठा शेठश्री आनंदजी कल्याणजी पेढी की किताब में प. पु. आचार्य भगवंत श्री सिद्धिसुरीश्वरजी महाराजा (बापजी महाराजा) के हस्ते होने का उल्लेख है।

👉 पु. कविवर श्री दिपविजयजी महाराजा ने रची कविता में (सं 1852) (222 वर्ष पूर्वे) वडोदरा के दादा पार्श्वनाथ प्रभु का उल्लेख मिलता है।

👉 महोपाध्याय श्री धर्मसागरजी के शिष्य पंन्यास श्री पद्मसागरजी के शिष्य श्री राजसुंदर सागरजी कविवर ने भक्तामर स्तोत्र के पद्य की प्रथम पंक्ति लेकर दूसरी 3-3 पंक्तिओ उमेरी ने वटपद्रक(वडोदरा) के दादा पार्श्वनाथ को उल्लेखी ने नविन भक्तामर स्तोत्र की रचना 17वी सदी में की थी।

👉 महोपाध्याय न्यायाचार्य श्री यशोविजयजी महाराजा का मनभावक स्तवन "सुखदाई रे सुखदाई, दादो मारो पार्श्वजिन सुखदाई..." वडोदरा के श्री दादा पार्श्वनाथ को उद्देश करके रचना की है।

यह संक्षिप्त ईतिहास पर से श्री दादा पार्श्वनाथ दादा की प्रतीमाजी की प्राचीनता पता चलती है।

ऐसे परम प्रभावकारी प्राचीन श्री दादा पार्श्वनाथ दादा के दर्शन एकबार करने पधारो।

वर्तमान ट्रस्ट मंडल

प्रमुख: श्री हीरेनभाइ नरेन्द्रभाई शाह, मो. 9825028883

उपप्रमुख: श्री रोशनभाइ रमेशचंद्र झवेरी, मो. 9824094882

मंत्री: श्री विवेकभाइ जशवंतलाल शाह, मो. 9979874506

पता: श्री जैन श्वेताम्बर दादा पार्श्वनाथ जिनालय तीर्थ,

नाना नरसिंहजी मंदिर के सामने, नरसिंहजी की पोल,

वडोदरा 390001 गुजरात

Location

Address: Shri Dada Parshvnath Jain Derasar, Narsinhji Pole, MG Road, Mandvi, Vadodara (Gujarat)

Village/Town : Mandvi, District : Vadodara, State : GUJARAT, Country : India, Pincode : 390001

Temple Timing

Morning: 5:30 AM - 11:30 AM, Evening: 5:30 PM - 8:30 PM,

How To reach?

Vadodara, formerly known as Baroda, is the third largest city in Gujarat. It is administrative headquarters of Vadodara District and is located on the banks of the Vishwamitri river. The city got its name because of the copious amount of Banyan Trees present here. It is well connected with roads.
Train: Vadodara Junction railway station
Airport: Vadodara Airport