सिद्धक्षेत्र सिद्धवरकूट: मोक्ष की भूमि का अद्भुत इतिहास
सिद्धवरकूट! एक ऐसा नाम जो जैन धर्म के इतिहास में अपनी विशेष जगह रखता है। यह पावन सिद्धक्षेत्र मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में, नर्मदा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। इस भूमि की पवित्रता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहाँ से 2 चक्रवर्ती, 10 कामदेव और 3.5 करोड़ मुनिराज मोक्ष प्राप्त कर चुके हैं। निर्वाण कांड में इसकी महिमा का वर्णन मिलता है:
"रेवा नदी सिद्धवरकूट, पश्चिम दिशा देह जहं छूट।
द्वै चक्री दश कामकुमार, उठ कोड़ि वन्दौ भव पार।।"
इतिहास में झांकें: स्वप्न से उजागर हुआ सिद्धक्षेत्र
सिद्धवरकूट की पहचान एक दिलचस्प कहानी से जुड़ी है। वर्ष 1935 (संवत्) की कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात, इंदौर पट्ट के भट्टारक श्री महेन्द्र कीर्ति ने स्वप्न में इस स्थान के दर्शन किए। स्वप्न में दिखे स्थान को खोजने की जिज्ञासा में वे नर्मदा नदी के किनारे-किनारे चल दिए। खोज के दौरान उन्होंने जंगल में भगवान चंद्रप्रभु और भगवान आदिनाथ की मूर्तियाँ देखीं। इसके बाद, भग्नावस्था में प्राचीन जैन मंदिर भी मिले। स्वप्न और वास्तविकता के साम्य ने इस स्थान को सिद्धवरकूट तीर्थक्षेत्र के रूप में स्थापित किया।
प्राकृतिक सुंदरता और अद्वितीय महत्व: सिद्धवरकूट की खूबसूरती और आध्यात्मिक शांति हर किसी का मन मोह लेती है। तीर्थयात्री नर्मदा नदी के पूर्वी तट पर पहुँचते हैं और नाव से नदी पार करके इस पवित्र स्थल पर पहुंचते हैं। यहाँ से कुछ ही दूरी पर ओंकारेश्वर मंदिर स्थित है, जो मान्धाता टापू पर बना है। इस टापू के बारे में कई रोचक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं।
आज का सिद्धवरकूट: वर्तमान में सिद्धवरकूट तीर्थक्षेत्र जैन श्रद्धालुओं के लिए अद्वितीय तीर्थस्थल है। यहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं और भगवान आदिनाथ एवं चंद्रप्रभु के दर्शन करते हैं।
सिद्धवरकूट केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि जैन धर्म की महिमा और इतिहास का प्रतीक है। इसकी पवित्रता, प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व इसे और भी खास बनाते हैं।
Morning: 5:30 AM to Evening 8:30 PM
Omkareshwer is the nearest Bus Stand, it is on other side of Bank of Narmada River, busses come here from all main cities of M.P.
Trains – Barwah Railway Staton
Airport – Indore (80 km)