Shri Korta Ji Jain Tirth, Korta, District-Pali (Rajasthan)

कोरटा गांव जो ऐतिहासिक काल में जैन संस्कृती की गढ़ ही नहीं बल्कि गौरवस्थली रहा है। वहां आज प्राचीन जैन संस्कृती के प्रतीक के रुप में चार जैन मंदिर बचे है। जो अपने अतीत के इतिहास को संजोए हुए है। जैन इतिहासकारों के अनुसार कोरटा वह स्थान है जहां युगप्रधान ओसवंश स्थापक आचार्य रत्नप्रभसूरिजी ने ओसियां के वीर जिन चैत के साथ कोरटा में उसी दिन एक साथ कोरटा में उसी दिन एक साथ भगवान महावीर के मंदिर की प्रतिष्ठा करवाई थी। कहते हैं आचार्य रत्नप्रभसूरीजी ने दो रूप धारण किये थे। मध्यकालीन युग में कोरटा तथा उसके आसपास के क्षेत्र में जैन संस्कृति का स्वर्णयुग था, कोरटा उन दिनों एक वैभवशाली नगर था जहां नाहड वसहि नामक विशाल जैन मंदिर का निर्माण करवाया था जो आबू के विमल वसहि की कारीगरी के कम नहीं था। कहते है कि नाहड ने यहां निन्यानवे जैन मंदिरों का निर्माण करवाया था जिनमें उपदेश तरंगिणी के वर्णानानुसार बहत्तर मंदिर नाहड़ द्वारा बनाने का उल्लेख मिलता है। इसमें अधिकांश मंदिर प्राकृतिक विपत्तियों एवं सांम्प्रदायिक बर्बरता के युग में ध्वंस हो गये और उन पर मिट्टी की परते जमकर वे सभी भूगर्भ में समा गये। कोरटा में जिस स्थान पर नाहड़ नें मंदिर बनवाये थे वहीं आज भगवान महावीर का मंदिर है। राज्य के राजस्व रिकार्ड में आज भी यह स्थान नाहरवी खेड़ा कहलाता है, जहां से समय समय पर भूमि कटाव के दौरान जैन मंदिरों के भव्य तोरण तथा अन्य प्रतिमाएँ प्राप्त होता रहती है जो मंदिर के संग्रहालय में आज भी जैन संस्कृती की गौरव गाथा कह रही है। कोरटा में आज भी चार जैन मदिर विद्यमान है। जिनमें एक प्राचीन मंदिर विद्यमान है। जिनमें एक प्राचीन मंदिर कोरटा गांव से एक किलोमीटर दूर नाहरवां खेडा नामक स्थान पर आया हुआ है। मंदिर के चारों ओर बंधी पक्क चार दीवारी में भगवान महावीर का शिखरबंध है। इसकी प्रतिष्ठा चरम तीर्थंकर भगवान महावीर के ७० वर्ष बाद श्री केशी गणधर श्री रत्नप्रभसूरीजी के करकमलों से माघ शुक्ला पंचमी गुरुवार के दिन धनलग्न में होने का उल्लेख अनेक जैन शास्त्रों में मिलता है।

कोरटा का दूसरा मंदिर नाहड़ के पुत्र ढाहवल द्वारा निर्मित है जिसमें मूलनायक ऋषभदेव भगवान की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। इस मंदिर की निर्माण काल १३वीं शताब्दी से अधिक पुराना नहीं माना जा रहा है। मंदिर में ढहवलजी द्वारा प्रतिष्ठित मूर्ति अब नहीं है परन्तु इसके स्थान पर वि.सं. १९०३ में प्रतिष्ठित प्रतिमा बिराजमान है। कोरटा का तीसरा मंदिर श्री पार्श्वनाथ भगवान को समर्पित है। इसका निर्माण कब हुआ और किसने करवाया, यह उल्लेख नहीं मिल रहा है परन्तु इस मंदिर की नवचौकी के एक स्तंभ पर अस्पष्ट अक्षरों से अनुमान लगाया जा रहा है कि यह मंदिर भी नाहड़ मंत्री के किसी परिवारजनों द्वारा निर्मित है। इसका जीर्णोद्धार १७वीं शताब्दी में हुआ था। उस समय इस मंदिर में शान्तिनाथ भगवान की प्रतिमा स्थापित कर दी थी लेकिन वि.सं. १९५९ में यहां पुनः पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा प्रतिष्ठित कर दी गई जो आज भी विद्यमान है। यहां का चौथा मंदिर कोरटा गांव के पूर्व में स्थित है। यह मंदिर भव्य होने के साथ ही अन्य मंदिरों से अधिक प्राचीन है। इसमें ऋषभदेव की प्रतिमा स्थापित है। जिसके दोनों ओर स्थित श्री शान्तिनाथ भगवान व श्री संभवनाथ भगवान की काउसग्गियां प्रतिमाएँ है जिन पर वि.सं. १९४३ का लेख है। कहते हैं कि यह मूर्तियां भगवान महावीर के मंदिर का जीर्णोद्धार कराते समय भूमि के अन्दर से प्रकट हुई थी। इन मंदिरों की प्राचीन शिल्पकला अद्भूत है, यहां प्राचीन प्रतिमाओं ओर तोरण आदि को एक संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है जिससे कोरटा के इन मंदिरों की प्राचीनता का बोध होता है अन्यथा बार बार होने वाले जीर्णोद्धार के बाद इनके निर्माणकाल का अनुमान लगाना कठिण हो जाता है। कोरटा में यात्रियों के लिए सुविधाजनक धर्मशाला एवं भोजनशाला की भी व्यवस्था तीर्थ पेढ़ी द्वारा की जाती है। यहां पहुँचने के लिए नजदीकी रेल्वे स्टेशन जवाईबांध है जहां से १२ किलोमीटर दूर बस द्वारा शिवगंज पहूँचना पड़ता है और यहां से कोरटा तक का आठ किलोमीटर का रास्ता तांगा व टेक्सी से तय करना होता है। शिवगंज शहर जोधपुर-अहमदाबाद के राष्ट्रीय राजमार्ग १४ पर स्थित है।

Location

Address: Shri Korta Ji Jain Tirth, Korta, District-Pali (Rajasthan)

Village/Town : Korta, District : Pali, State : RAJASTHAN, Country : India, Pincode : 306901

Temple Timing

Morning: 5:30 AM to Evening: 8:30 PM,

How To reach?

Korta is a historic village and tourist destination in Pali district. Local transport is available from Sheoganj.
Train: Jawai Bandh Railway Station
Air: Udaipur Airport