खजुराहो मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है और अत्यन्त कलापूर्ण भव्य मंदिरों के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध पर्यटन केन्द्र है। एक हजार वर्ष पूर्व यह चन्देलों की राजधानी था
जनश्रुति के अनुसार यहाँ ८५ मंदिर थे, किन्तु अब तो प्राचीन मंदिरों में से केवल ३० मंदिर ही विद्यमान हैं, शेष मंदिर नष्ट हो गये।
गाँव के दक्षिण-पूर्व में जैन मंदिरों का समूह है। वे मंदिर एक आधुनिक चहारदीवारी से घिरे हैं। आदिनाथ, पार्श्वनाथ और शांतिनाथ मंदिरों के अतिरिक्त कई आधुनिक जैन मंदिर हैं जो प्राचीन मंदिर के ध्वंसावशेषों पर बनाये गये हैं। तीर्थंकरों की अनेक प्राचीन मूर्तियाँ मंदिर में तथा अहाते में खुले संग्रहालय के रूप में रखी हुई हैं। इनमें से कई मूर्तियों पर तिथि वाले लेख अंकित हैं। खजुराहो के वर्तमान जैन मंदिरोें में पार्श्वनाथ मंदिर (मंदिर नं.२५) सबसे विशाल और सबसे सुन्दर है। वह ६८ फुट २ इंच लम्बा और ३४ फुट ११ इंच चौड़ा है। यह मंदिर पूर्वाभिमुख है। खजुराहो के समस्त हिन्दू और जैन मंदिरों में भी कला-सौष्ठव और शिल्प की दृष्टि से यह अन्यतम माना जाता है। खजुराहो का कन्दारिया मंदिर अपनी विशालता एवं लक्ष्मण मंदिर उत्कीर्ण मूर्ति सम्पदा की दृष्टि से विख्यात है किन्तु पार्श्वनाथ मंदिर के कलागत वैशिष्ट्य एवं अद्भुत शिखर संयोजना की समानता वे मंदिर नहीं कर सकते। प्रसिद्ध विद्वान् फर्गुसन ने इस मंदिर के संबंध में जो उद्गार प्रकट किये हैं, उनसे वास्तविक स्थिति पर प्रकाश पड़ता है।
‘वास्तव में समूचे मंदिर का निर्माण इस दक्षता से साथ हुआ है कि सम्भवत: हिन्दू स्थापत्य में इसके जोड़ की कोई रचना नहीं है जो इसकी जगती की तीन पंक्तियों की मूर्तियों के सौन्दर्य, उत्कृष्ट कोटि की कला संयोजना और शिखर के सूक्ष्मांकन में इसकी समानता कर सके।’
पार्श्वनाथ मंदिर का निर्माणकाल प्राय: सभी विद्वान् १०वीं शताब्दी मानते हैं। द्वार के बायें खंभे पर १२ पंक्तियों का एक लेख है, जिसमें प्रतिष्ठा काल संवत् १०११ दिया गया है। लिपि के आधार पर यह लेख किसी प्राचीनतर लेख की उत्तरकालीन प्रतिलिपि माना जाता है।
खजुराहो विख्यात पर्यटक केन्द्र है। यहाँ हजारों व्यक्ति प्राचीन भारत की कला का दर्शन करने आते हैं। अनेक जैन इस क्षेत्र के दर्शन करने और पूर्वजों के कला-प्रेम एवं कला को देखने आते हैं। यों तो यहाँ श्रेणी-१ और २ के होटल, रेस्ट हाउस, डाक-बँगला, लॉज आदि हैं जिनमें यात्री ठहरते हैं; किन्तु जैन यात्रियों की सुविधा के लिए समाज के सहयोग से यहाँ ६ धर्मशालाओं का निर्माण किया गया है। इनमें दो विभाग कर दिये गये हैं। एक तो सामान्य धर्मशाला है जिसमें यात्री नि:शुल्क ठहर सकते हैं। दूसरा विश्रान्ति-भवन, जिसमें निश्चित शुल्क देकर ठहर सकते हैं।
मेला—क्षेत्र का वार्षिक मेला चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में होता है। इसी अवसर पर विधानानुसार क्षेत्र की प्रबन्ध समिति का भी चुनाव होता है। यहाँ आश्विन कृष्ण ३ को प्रतिवर्ष पालकी निकाली जाती है। यह उत्सव छतरपुर रियासत के काल से प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है। दोनों ही उत्सवों में जैन जनता बड़ी संख्या में एकत्र होती है।
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM, Evening: 5:30 PM - 8:30 PM,
Khajuraho is a town in Chhatarpur District of Madhya Pradesh. One of the most popular tourist destinations in India, Khajuraho has the country's largest group of medieval Hindu and Jain temples. The Khajuraho Group of Monuments has been listed as a UNESCO World Heritage Site since 1986 and is considered one of the "seven wonders" of India. The town's name, anciently "Kharjuravahaka", is derived from the Sanskrit word kharjur meaning "date palm".
Train: Khajuraho Railway Station
Air: Khajuraho Airport