दिनांक 7 मार्च 2000 को चतुर्थकालीन साधु चर्या की उपमा को प्राप्त करने वाले संत शिरोमणि प्रातः स्मरणीय पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य वास्तु विज्ञानी तीर्थ क्षेत्र जीर्णोद्धारक ज्ञान ध्यान तप में लीन आध्यात्मिक संत मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज एवं क्षुल्लक श्री गम्भीर सागर जी महाराज एवं क्षुल्लक श्री धैर्यसागर जी महाराज का पदार्पण हमारी पावन भूमि पर हुआ आंवा क्षेत्र का कण कण एवं जैन अजैन धन्य हो उठा । मुनि संघ ने जैसे ही इस महान अतिशयकारी बाबा के दर्शन किये भाव विभोर हो गए व मुनि श्री ने कहा कि इतनी महान अतिशयकारी प्रतिमा के होते हुए भी इस क्षेत्र का विकास क्यों नही हो पा रहा है तब मुनि श्री ने सम्पूर्ण क्षेत्र का वास्तु विज्ञानानुसार निरीक्षण कर दोषों का परिमार्जन करके क्षेत्र का जीर्णोद्धार कर विकास शील बनाने हेतु समाज को प्रेरणा एवं आशीर्वाद प्रदान किया ।
दिनांक 9 जून से 14 जून 2008 तक आचार्यश्री के मंगल आशीर्वाद एवं प्रेरणा से परम पूज्य मुनि श्री के ससंघ सानिध्य में ऐतिहासिक श्री त्रिकाल चौबीसी जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव सानंद सम्पन्न हुआ। जिसमें देश विदेश से लाखों श्रद्धालुओं ने आकर उपस्थिति दी एवं इस ऐतिहासिक पांच कल्याणक प्रतिष्ठा की सराहना की ।पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में दानवीर श्रेष्ठियों द्वारा क्षेत्र पर समवशरण मंदिर, नंदीश्वर दीप मंदिर एवं सहस्त्रकूट मंदिरों का शिलान्यास किया गया ।
Morning: 5:30 AM to Evening: 8:30 PM,
Bus Stand: Deoli
Train: Jaipur Railway Station
Airport: Jaipur