श्री सिंहपुरी तीर्थ
श्री श्रेयांसनाथ भगवान
श्री सिंहपुरी के राजा विष्णु पिता और विष्णु देवी माता की कुक्षी से जन्म लेने वाले वर्तमान चोवीसी के 11 वे तीर्थंकर के च्यवन , जन्म , दीक्षा अौर केवळज्ञान से पावन बनी हुई यह भूमि है । यह स्थान सारनाथ नाम से भी प्रसिद्ध है । श्रेयांसनाथ का अपभ्रंश नाम ही सारनाथ हो सकता है ।यहां भूगर्भ से प्राप्त हुए शिलालेखो मे जैन धर्म संबंधीत लेख है । चौथी , सातवी सदी मे चीनी यात्रिक ने यहां का वर्णन किया हुआ है ।
11 वी सदी के कनोज के राजा गोविंदचंद्र की राणी कुमारदेवी ने यहीधर्मचक्र जिनविहार बनाया था ।संवत 1194 मे शाहबुदीन के सेनापति कुतुबुद्दीन ने जिनालय को नुकशान किया अब केवल 2 स्तूप ही बचे हुए है । यहाँ सिहंपुरी (हीरावणपुर ) मे प्राचीन भव्य जिनालय मे श्वेतवर्ण के अदभुत कलाकृति से सुशोभित श्री श्रेयांसनाथ भगवान मूळनायक के रूप मे बिराजमान है । यहाँ 103 फूट उंचा विशाळ 2200 वर्ष प्राचीन कलात्मक अष्टकोण स्तूप है ,जो सम्राट अशोक के पौत्र
श्री सम्प्रति राजा द्वारा श्री श्रेयांसनाथ भगवान की स्मृति मे निर्माण किये है । अभि पूरातत्व विभाग के हस्तगत है । सम्राट अशोक ने निर्माण करवाया है ऐसा भी कहा जाता है ।इन स्तूपो के सिंहत्रयी के चिन्ह को भारत सरकार राज्य चिन्ह के रूप मे मान्य किया है अौर धर्मचक्रन को राष्ट्रध्वज के उपर अंकित कर यहाँ का अौर श्रमण संस्कृति के गौरव को बढाया है ।
यहा पर धर्मशाळा और भोजनशाला की व्यवस्था है । यह तीर्थ उत्तरप्रदेश के वाराणसी छावणी स्टेशन से 8 कि. मी.की दुरी पर है ।
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM, Evening: 5:30 PM - 8:30 PM,
Sarnath is a place 10 km from Varanasi city near the confluence of the Ganges and the Varuna rivers in Uttar Pradesh. Singhpur, a village approximately one kilometer away from the site, was the birthplace of Shreyansanath, the Eleventh Tirthankara. It is well connected with roads.
Train: Sarnath Railway Station
Air: Varanasi Airport