आज से करोड़ों वर्ष पूर्व जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने अयोध्या में जन्म लेकर राज्य संचालन किया पुनः संसार से वैराग्य हो जाने पर उन्होंने जिस सिद्धार्थ नामक वन में जाकर वटवृक्ष के नीचे जैनेश्वरी दीक्षा धारण की थी, वही स्थान प्रयाग के नाम से प्रसिद्धि को प्राप्त हुआ, ऐसा जैन ग्रंथों में वर्णन आता है।
फरवरी 2001 में इलाहाबाद-बनारस हाइवे पर ‘‘तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली तीर्थ’’ का अभूतपूर्व निर्माण हुआ है।
पस्थली तीर्थ निर्माण के साथ-साथ परिसर में ‘‘गणिनी ज्ञानमती निलय’’ के नाम से आधुनिक सुविधायुक्त 26 डीलक्स फ्लैट की दो मंजिला सुंदर धर्मशाला तथा ‘‘प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर निलय’’ के नाम से 12 फ्लैट की सुन्दर बिल्डिंग बनी हुई है। पानी की सुविधा हेतु क्षेत्र पर बड़ी टंकी का निर्माण हो चुका है। शुद्ध जल के लिए कुआं एवं जेटपम्प की व्यवस्था है तथा आगन्तुक यात्रियों के शुद्ध भोजन एवं नाश्ते के लिए भोजनालय व कैन्टीन की समुचित व्यवस्था है। सरकारी बिजली के साथ-साथ तीर्थ पर जनरेटर भी उपलब्ध है, जिससे बिजली-पानी की सुविधा के साथ फौव्वारे, झरने एवं विद्युत प्रकाश आदि के दृश्य प्रतिदिन दर्शनार्थियों के लिए सुलभ रहते हैं।
Morning: 5:30 AM to Evening 8:30 PM,
The city lies close to Triveni Sangam, "three-river confluence" of the Ganga, Yamuna and Sarasvati rivers. The city is the judicial capital of Uttar Pradesh with Allahabad High Court being the highest judicial body in the state. It is well connected with roads.
Train: Prayagraj Railway Station
Air: Prayagraj Airport