जोगसारु (योगसार)

Details

Language : Hindi

Category : Other

Tags : वीरसागर जैन, योगसार, जोगसारु,

Author : वीरसागर जैन

Publish Year : 2005

Total Pages : 33

Publisher : पंडित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर

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प्रस्तुत ग्रन्थ का नाम योगसार है 
इसके रचियता मुनिराज योगिन्दु देव है 
इसका हिंदी पद्यानुवाद श्री हुकुमचंद भारिल्ल जी ने किया है 

 

 

जन्मभूमि-  गुढाचन्द्रजी, जिला- करौली, राजस्थान, पिन- 322213

शिक्षा -  शास्त्री, आचार्य(जैनदर्शन,प्राकृत), एम. ए., एम. फिल., पीएच. डी. (हिन्दी साहित्य)       

वर्तमान पद -     प्रोफेसर, जैनदर्शन विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,   क़ुतुब सांस्थानिक क्षेत्र, नई दिल्ली-110016 

विशेषता-  साहित्यिक एवं दार्शनिक विषयों के लेखक एवं व्याख्याता | लगभग 40 पुस्तकों एवं 150 शोधपत्रों के लेखक एवं सम्पादक | ‘प्राकृतविद्या’ आदि शोध-पत्रिकाओं के सम्पादक | अनेक साहित्यिक, दार्शनिक एवं सामाजिक संस्थाओं से सम्बद्ध |

भाषाज्ञान-     संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, राजस्थानी  |

पुरस्कार -    ऋषभदेव,  महावीर,  पुष्पदन्त-भूतबली,  उमास्वामी,  वात्सल्य-रत्नाकर,  ब्रह्मगुलाल, गुरु गोपालदास बरैया, अहिंसा इंटरनेशनल जैन साहित्य पुरस्कार, श्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार |

प्रमुख कृतियाँ-    न्यायमन्दिर, दौलत-विलास, भारतीय दर्शन में आत्मा एवं परमात्मा, तत्त्वार्थसूत्र-प्रदीपिका,  प्रमुख जैन ग्रन्थों का परिचय, प्रमुख जैन आचार्यों का परिचय, आचार्य विद्यानन्द निबन्धावली, श्रीपालचरित, जैन शतक, योगसार, आप्तपरीक्षा इत्यादि |